फरमाने मौला अली (रदिअल्लाहु अन्हु)
जब मेरी दुआ कुबूल होती है तो मैं खुश होता हूं क्यों के ईसमें मेरी मरज़ी है और जब कुबूल नहीं होती तो मैं और भी खुश होता हूं क्यों के उसमें अल्लाहकी मरज़ी है.
फरमाने मौला अली (रदिअल्लाहु अन्हु)
अय अल्लाह ! मैं तुज़से दुआ सिर्फ ईसलिये मांगता हूं के तेरा हुक्म है. वर्ना मैं कौन होता हूं तुज़े मशवरा देनेवाला के मेरे लिये क्या बेहतर है.फरमाने मौला अली (रदिअल्लाहु अन्हु)फरमाने मौला अली (रदिअल्लाहु अन्हु)
कसरतसे (बहुत ज़ियादा) दुआ करते रहो के ईससे शैतानके हमलेसे महफूज़ रहोगे.
जब दुआ और कोशिशसे काम न बने तो फैसला अल्लाह पर छोण दो. वो अपने बंदोके हकमें बेहतर फैसला करनेवाला है.
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